Thursday, March 11, 2010

बुरा न मनो होली है

सासु जी तुमसे खेलु होली आज
भांग पीकर बन जाऊ तुम्हारी सास
रोब जमाऊ, हुकुम चलाऊ, हो ऐसा काश
बर्तन मंज्वाऊ, झाड़ू लगवाऊ, ऐसा करो तुम आज।

पियाजी तुमसे खेलु होली आज
भांग पिकर आर्डर करू तुम पर आज
नव लखा हार लू, मर्सिडीज़ कार लू
बनू में महारानी सेवक बनाऊ तुमको आज।

हंसी मजाक से भरी सहेलियो की टोली है
दिल पे मत लेना कुछ भी क्यों की वो कहते हई बुरा न मनो होली है।

Friday, January 15, 2010

मेरी पसंदीदा कविता ( जो मैंने नहीं लिखी)

दुःख बड़े काम की चीज़ हैं!

दुःख न हो तो कोई याद नहीं करेगा,
कोई प्रभु से फ़रियाद नहीं करेगा!

सुख चालक हैं,भटकाता हैं!
अपने पते पर कभी नहीं मिलता!
दुःख भोला भाला हैं,
दूसरो के पते पर भी मिल जाया करता हैं!

दुखी बने रहो ,कोई इर्ष्या नहीं करेगा,
सुखी हो गए तो संसार नहीं सहेगा!

दुःख अन्तरंग हैं ,
सदा संग संग हैं!
सुख तो हैं उछ्रुन्खाल,
दुःख में तमीज हैं
दुःख बड़े काम की चीज़ हैं !!!

कवी:- सरोज कुमार

Saturday, January 9, 2010

कितना मुश्किल है यारो अलविदा कहना

ज़िन्दगी के सारे अरमान लिए,
आँखों में मंजिल के सपने संजोये,
निकल पड़े थे घर से , अपनों को छोड़ कुछ पाने के लिए।
जब रखा पहला कदम देहलीज के बाहर, लगा ज़िन्दगी छुट रही हैं ,
मंजिल को पाने निकले ज़रूर ,मगर माँ की ममता छुट रही हैं ।
पापा ने कहा ," जा बेटा कुछ कर दिखाना ",
माँ ने कहा ," बेटा घर ज़ल्दी आना",
दोंस्तो ने कहा," यार हमे मत भूलना "।
तब लगा सचमुच,
कितना मुश्किल हैं यारो अलविदा कहना।

अब वक़्त आया हैं घर लौट जाने का,
जो ममता और प्यार छुटा था उसे फिर पाने का,
मगर आज मन इजाजत नहीं दे रहा हैं ,
क्यूंकि आज फिर वक़्त आ गया हैं अपनों को छोड़ जाने का।'
कभी सोचा न था ,जो पराये हैं वे अपने हो जायेंगे ,
दोस्ती हुई हैं ऐसी ,उम्रभर निभा जायेंगे।
मगर अब वक़्त हैं साथियों को अलविदा कहने का,
डर हैं मन में पता नहीं फिर कब मिल पाएंगे।

तब माँ ने कहा था ," बेटा घर जल्दी लौटना"।
मगर आज मन चाहता हैं कुछ और बहाने ,ताकि हो साथियों संग कुछ और पल जीना।
आज यह नए दोस्त फिर कह रहे हैं "यार हमे मत भूलना "।
भारी हो गया मन आज इतना इनके प्यार से ,
फिर लगता है ,
कितना मुश्किल हैं यारो अलविदा कहना।

Barish

रिमझिम रिमझिम बारिश आई,
झुमझुम खुशिया है लाई,
ढिशुम ढिशुम करते है बदल,
चमक चमक बिजली हमे डराई।

इन्द्रधनुष भी मस्ती करता,
मैं कागज की नाव बनता,
मम्मी बोले," छाता ले जाओ",
मैं तो ऐसे ही भाग जाता।

छप छप करता , मौज मनाता,
बारिश में मैं तो धूम मचाता।
पंछी नाचे, फूल भी नाचे,
मैं भी नाचू, बड़ा मजा आता।

Jeevan

Rang bikheru,
Rang sawaru,
ya rango me rang jaoo.

Pankh failau,
pankh sametu,
ya aasman me ud jaoo.

Kadam badaoo,
kadmo ko roku,
ya masti me jhoom jaoo.

Sapne sanjou,
sapne sajau,
ya sapno me kho jaoo.

Har pal ko dhoondu,
har pal ko dekhu,
ya is pal ko hi khushi se ji jaoo...

Nanhe Kadmo Ki Aahat

फ़रिश्ता है या है परी,
पल रह है मुझमे अभी,
न्योछावर है उस नन्ही सी जान के लिए,
इस जहाँ की खुशिया सभी।

हलचल हो रही है,
मस्ती भी हो रही है,
ममता के इस पहले अहसास से,
अजीब सी ख़ुशी भी हो रही है.

छोटे छोटे से हाथ,
और छोटे छोटे से पैर,
कर रहे, मजे से,
मेरे कोंख की सैर.

आँखों में चमक,
होंठो पे मुस्कराहट,
चहरे पर भोलापन,
और नन्हे से कदमो की आहत।

खुशिया भरने आ रहा है मेरे आँगन में,
सम्पुर्नाता का अहसास ला रह है मेरे जीवन में.